हरि नाम सुमर तेरी जाय उमर । घडियल छिन भर नहि दिलसे बिसार ।
सब शोच फिकर । नर मनसे बिदाई ॥ १ ॥
सुत मीत नार घर कारबार । जगकी बहार दिन देख चार ।
कोइ अंत बार । तेरे संग न सहाई ॥ २ ॥
राजा वजीर रण शूर वीर । गुणिगण गभीर नहि धरत धीर ।
कोई सिद्ध पीर । जग थिर न रहाई ॥ ३ ॥
बिन प्रभु के भजन सब झूठ जतन । करके थिर मन मेरो बचन ।
ब्रम्‍हानंद रटन । नित कर मनमांही ॥ ४ ॥


Hari naam sumar teri jaay umr . ghadiyl chhin bhar nhi dilse bisaar .
Sab shoch fikr . nar manse bidaaee ॥ 1 ॥
Sut mit naar ghr kaarbaar . jgaki bhaar din dekh chaar .
Koi ant baar . tere snga n shaaee ॥ 2 ॥
Raajaa vjir rn shur vir . gaunigan gabhir nhi dhrt dhir .
Koee siddh pir . jga thir n rhaaee ॥ 3 ॥
Bin prbhu ke bhjn sb jhuth jatn . krke thir mn mero bchn .
Bram‍haannd rtn . nit kar mnmaanhi ॥ 4 ॥